तुम्हारी याद में इस तरह सिसक कर रोए, दिल पिघल आया मगर आँखें नम न हुई। यूँ दिखाते रहे दुनिया को हालेदिल अपना कि दर्द में भी कभी मेरी हँसी कम न हुई। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #हालेदिल