क़ाशी घूमें पनघट घूमे गंगा तीरे आये थे घूम गए वो केदार नाथ श्रृंगवेर नगर भी आये थे जटा धरा शंकरा महादेव शंकरा तीन लोकों से बड़ा शिवा भोला शंकरा वक़्त की रफ़्तार उसकी शक्तियाँ विकराल उसकी नृत्य कृत्य करता है डोलता ब्रह्माण्ड है जाते जाते शिवा शंकरा निज वास मेरे आया था प्रेम ही भक्ति मेरी ऐसा ही बतलाया था शिवा शिवा शंकरा शिवा शम्भू शंकरा जितना तेज़ मुखर इसका उतनी सरल सरस इसका प्यार है देवों की शक्ति है भक्तों की भक्ति है शिवा शम्भु शंकरा रौद्र रूप भाये इसको दिन-दिवाकर मयंक-निशाचर भूत भी ये है भव भी ये है वर्तमान इसके कदम है चलता त्रिनेत्रा जगत जगन्ता शिवा शम्भू शंकरा वेद पुराण,कथा कुरान सब है इसमें बसता जानता है मानता है सबको पहचानता है आदि देवा शंकरा काल भी डरे है इससे चिर तेज़ प्रखर श्वेत धरा है रहता है कैलाश में शिवा भोला है शम्भू देवा शंकरा, यामिनी,दामिनी, चंद्र मुख रागिनी; सब देव हैं ये शंकरा जटाधराय,बाघाम्बराय त्रिशूलधारी, प्रचण्ड देव शंकरा कृष्णा देवा शिवा शंकरा जय जय शिवा शंकरा। #कुमार किशन #शिवा शम्भू