कड़की है बिज़ली आकाश में, मेघ भी काला छाया है.! लगता होगी बारिश आज, खेत में हल अब जुतेंगे.! प्यासी धरती होगी तृप्त, खेत भरेंगें पानी से.! धान के बिजड़े रोपेंगे, खलिहान भरेंगें चावल से.! बरसों बरखा रानी आज, उम्मीद नही मेरा टूटे.! #अजय57 #बज़्म #संदेहवाचक