कैसे बताये.....! की हमारी जिंदगी के समस्याएं बढ़ी जा रही है, परिस्थियां और वक्त के साथ जिम्मेदारियां बढ़ी जा रहीं है, मैं जहां का रहा रूक सा गया हूं, कैसे बताएं.....! कैसे बताएं हम क्या देखते हूं, बंद आंखों से सारा जहां देखता हूं, निंद आती नही जब कल की सोचता हूं कैसे बताएं.....! हर सुबह एक नई अहसास ढूंढता हू, सागर में मोती सा पनाह ढूंढता हू, होती नही कभी कोई चमत्कार जिंदगी में, कैसे बताएं.....! कभी हम भी हुआ करते थे अध्यापकों के चहेते, देते थे उत्तर उछल कूद करके, गुम सा गया हूं यहां भिड़ में तो, कैसे बताएं.....! कभी लड़ते थे कक्षा की अगली बेंच के लिए, अब पीछे से छिपाने की जागा ढूंढता हुए, ये बदलते वक्त को पहचाना नहीं जा रहा, कैसे बताएं.....! लड़ रही है मां मेरी हमारे लिए जलाती है हाथ अपना कमाने के लिए, नहीं होता सहन मुझे देख कर ये, कैसे बताएं.....! हमारी बढ़ती आयु के साथ, अपनो की आयु कम हो रही है, रखना चाहते हैं उन्हें अबसे हमेशा खुश, कैसे बताएं.....! जिंदगी अब हमारी नौकरी पर टिकी है, वो अपने सपनों को कुर्बान कर, मुझपे उम्मीद लगाए रखे है, लड़ रहे है रात दिन घर चलाने के नाते, कैसे बताएं.....! जीने की उम्मीद छोड़े बैठे है, वक्त के साथ असमर्थ हुए बैठे है, कैसे कहें अब आप आराम करो, हम संभाल लेंगे..................कैसे बताएं।। कैसे बताएं.......।।।। ©Mahi chaurasiya #innerpain #Night