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हे राम मुझको कुछ न दो एक तीर मारकर, अपने जैसा बना

हे राम मुझको कुछ न दो
एक तीर मारकर, अपने जैसा बना दो
एक तीर मारकर दशानन को
सारे दोषों से मुक्त कर दिया
एक तीर मारकर मुझको भी 
सारे दोषों से मुक्त कर दो
छू कर एक शिला को
अहिल्या को दोष मुक्त कर दिया 
वैसे ही छू कर मुझको भी 
सारे दोषों से मुक्त कर दो
जूठे बेर खा कर
सबरी को धन्य कर दिया
वैसे ही मेरे चढ़ावे को खा कर 
मुझको भी धन्य कर दो
शरण दे विभीषण को
सारे जग में धन्य बना दिया 
शरण देकर मुझको भी
थोड़ा धन्य बना दो
चरणों में स्थान दे हनुमान को
अपना सर्वोच्च भक्त बना दिया
चरणों में स्थान दे मुझको भी
अपना छोटा भक्त बना लो 
एक नाम भर से
अंगद को पहाड़ बना दिया
तेरे जप नाम से
मुझे अपना भक्त बना दो 
हे राम मुझको कुछ न दो
एक तीर मारकर, अपने जैसा बना दो
जिसमे राग द्वेष की भावना तनिक न हो
जिसमे सम्मानता, मित्रता की भावना हो
जो पिता को जितना सम्मान देता हो
उतना ही सम्मान रावण को भी देता हो
जो जितना सम्मान अपने घर को देता हो
उतना ही सम्मान बाहरी को भी देता हो।
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

©AJAY NAYAK
  #happydussehra 
हे राम मुझको कुछ न दो
एक तीर मारकर, अपने जैसा बना दो
एक तीर मारकर दशानन को
सारे दोषों से मुक्त कर दिया
एक तीर मारकर मुझको भी 
सारे दोषों से मुक्त कर दो
छू कर एक शिला को
ajaynayak1166

AJAY NAYAK

Silver Star
New Creator

#happydussehra हे राम मुझको कुछ न दो एक तीर मारकर, अपने जैसा बना दो एक तीर मारकर दशानन को सारे दोषों से मुक्त कर दिया एक तीर मारकर मुझको भी सारे दोषों से मुक्त कर दो छू कर एक शिला को #कविता

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