फ़िक्र तो तेरी आज भी करते है हम, फ़िक्र तो तेरी आज भी करते हैं हम, कुछ यादें किताबों में दबी हुई है अब तक। हमे मालुम है तुम चले गए हो छोड़ कर, तुझे पाने की मगर ख्वाहिश बची हुई हैं अब तक।। तुझे भुल पाऊ कैसे, कमबख्त तेरी याद जाती ही नहीं,