Nojoto: Largest Storytelling Platform

कट गए पेड़ कसम खाने को अब जंगल भी नहीं, अब कहाँ जाए

कट गए पेड़ कसम खाने को अब जंगल भी नहीं,
अब कहाँ जाएँगे वो साँप के सन्दल भी नहीं।

सर्द मौसम मेरे दहलीज़ पर दस्तक़ देता है सदा,
एक दरीदा सी है चादर कोई कम्बल भी नहीं।

ऐ ख़िरदमन्दों ये इतराना अभी ठीक नहीं,
जितना तुम समझे हो उतना वो पागल भी नहीं।
    
                 -Abhay 'Raja' #life#world
कट गए पेड़ कसम खाने को अब जंगल भी नहीं,
अब कहाँ जाएँगे वो साँप के सन्दल भी नहीं।

सर्द मौसम मेरे दहलीज़ पर दस्तक़ देता है सदा,
एक दरीदा सी है चादर कोई कम्बल भी नहीं।

ऐ ख़िरदमन्दों ये इतराना अभी ठीक नहीं,
जितना तुम समझे हो उतना वो पागल भी नहीं।
    
                 -Abhay 'Raja' #life#world
abhaymishra2512

Abhay Mishra

New Creator