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कुछ नहीं होता जब मौका चूक जाता है वापस नहीं आता जब

कुछ नहीं होता जब मौका चूक जाता है
वापस नहीं आता जब तीर छूट जाता है
सजा भुगता है तमाश बीनों ने देखो तो
जब सोच समझ का सागर सूख जाता है
फैसला भावों में बहकर जब कभी होगा
सत्य का सार तलहटी में मुस्कुराता है 
तालियां सबने बजाई कुछ को छोड़कर
ज्यादा फड़फड़ाने में पंख टूट जाता है
सत्य क्या है ये कौन नहीं जानता बोलो
आह की मार से भाग्य "सूर्य" रूठ जाता है

©R K Mishra " सूर्य "
  #रूठ  Sethi Ji Babli Gurjar Aditya kumar prasad shashi kala mahto चाँदनी