हकीकत ना सही तुम ख्वाब की तरह मिला करो भटके हुए मुसाफ़िर को चांदनी रात की तरह मिला करो बर्बाद होगा ये गरीब दोनों ही पहलूँ में मेरे कच्चे घर पर तुम बरसात की तरह मिला करो हलक-हलक जिक्र आए हर साँस में तेरा एक दफा तुम मुझको उस मुलाकात की तरह मिला करो वक्त-बे-वक्त आ जाए नीत भले ही सताने मुझको तुम हिचकियों के सिलसिलों में याद की तरह मिला करो हकीकत ना सही तुम ख्याल की तरह मिला करो भटके हुए मुसाफ़िर को चांदनी रात की तरह मिला करो ©Harish Kumar(Harsh) #मिला करो #worldpostday