उसकी मुहोब्बत का कोई ठिकाना नही था चुप थी वो मेरे सवालो पे क्यों कि बताने के लिए कोई बहाना नही था हमने भी उसे इसलिये अपना था क्यों की शायद उसके दिल को पहचना नही था दिल को पहना नही था