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दैत्य (एक खुनी आगाज) मसूमियत के पीछे अक्सर एक शैत

दैत्य (एक खुनी आगाज)

मसूमियत के पीछे अक्सर एक शैतान छुपा होता है 
वक़्त रहते पहचान लो वरना कब तुम उसके शिकंजे में आ जाओ खबर नहीं ।

एक ऐसी कहानी है पढ़े नीचे । अँधेरी रात सुनसान सड़क पे जब किसी अजनबी से टकरा जाओ वो भी स्त्री तो दम सारे सुख एक केंद्र पर विस्थापित हो जाती है खैर भोंकते कुत्तों के बीच बचकर एक सहमी आवाज जो आज भी याद है मुझे वो हलकी सहमी सिसकियां में लिपटी ओ साहब साहब 
सुन जिसे मैं आज तो पूरा विस्वास से खुद में कह रहा था की कुणाल तू तो आज गया , आधी रात को चुडैल घूमती बोल ही रहा था की दुबारा वही आवाज बड़ी दम साध पीछे मुड़ कर देखा तो आँखों पे भरोशा नहीं हुआ
एक खूबसूरत आँखों वाली मेरे उम्र की लगभग लड़की
पीछे मुड़ मैं सबसे पहले उसके पैर देखें हाँ ये जिंदा है बोल उच्छल पड़ा फिर धीरे धीरे लड़को वाली रुतबे में आगे बढ़ कर रुका और बोला जी बोलिए 

वो - जी मेरी ट्रेन छूट गई और अगली ट्रेन कल सुबह है मैं यहाँ फस गई हूँ दरअसल यहाँ मेरे कोई रिश्तेदार  भी नहीं है और पास के सारे हॉटल बंद हो चुके तो क्या आप मेरी कुछ मदद कर सकते है 

मैं - अंदर से उत्सुक मेरा मन  को डांट दिमाग अबे कुणाल ये झूठ भी तो बोल सकती है क्या भरोशा की ये सच बोल रही मत बुला मगर ह्र्दय किसी की सुनता है झट से  जी क्यूँ नहीं यहीं पास में मेरा रूम है आप वहाँ रह सकती है ।
दैत्य (एक खुनी आगाज)

मसूमियत के पीछे अक्सर एक शैतान छुपा होता है 
वक़्त रहते पहचान लो वरना कब तुम उसके शिकंजे में आ जाओ खबर नहीं ।

एक ऐसी कहानी है पढ़े नीचे । अँधेरी रात सुनसान सड़क पे जब किसी अजनबी से टकरा जाओ वो भी स्त्री तो दम सारे सुख एक केंद्र पर विस्थापित हो जाती है खैर भोंकते कुत्तों के बीच बचकर एक सहमी आवाज जो आज भी याद है मुझे वो हलकी सहमी सिसकियां में लिपटी ओ साहब साहब 
सुन जिसे मैं आज तो पूरा विस्वास से खुद में कह रहा था की कुणाल तू तो आज गया , आधी रात को चुडैल घूमती बोल ही रहा था की दुबारा वही आवाज बड़ी दम साध पीछे मुड़ कर देखा तो आँखों पे भरोशा नहीं हुआ
एक खूबसूरत आँखों वाली मेरे उम्र की लगभग लड़की
पीछे मुड़ मैं सबसे पहले उसके पैर देखें हाँ ये जिंदा है बोल उच्छल पड़ा फिर धीरे धीरे लड़को वाली रुतबे में आगे बढ़ कर रुका और बोला जी बोलिए 

वो - जी मेरी ट्रेन छूट गई और अगली ट्रेन कल सुबह है मैं यहाँ फस गई हूँ दरअसल यहाँ मेरे कोई रिश्तेदार  भी नहीं है और पास के सारे हॉटल बंद हो चुके तो क्या आप मेरी कुछ मदद कर सकते है 

मैं - अंदर से उत्सुक मेरा मन  को डांट दिमाग अबे कुणाल ये झूठ भी तो बोल सकती है क्या भरोशा की ये सच बोल रही मत बुला मगर ह्र्दय किसी की सुनता है झट से  जी क्यूँ नहीं यहीं पास में मेरा रूम है आप वहाँ रह सकती है ।
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Author kunal

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