अरे जोर से बोल जीत ! क्या ? होती है , तू मुझे ; समझा ना मुझे तो , कैसे भी कर , अपनी मंजिल को है पाना और जाना क्या किसी ने मेरे बारे में इस जमाने में चाहिए हरशख्स को बस ; कुछ करके दिखाना कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद अरे जोर से बोल...कीर्तिप्रद