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शहर हमारा कुछ दिन से बदला बदला सा लगता है खामोशी क

शहर हमारा कुछ दिन से बदला बदला सा लगता है
खामोशी के सफ़र से बहुत ही गुजरता सा लगता है

गलीयाँ सूनसान पड़ी है, मातम का कहर जहाँ तहाँ
बेटी कहाँ महफ़ूज है, हैवानियत का शोर यहाँ वहाँ
अक्ल पर सवार जैसे अंधाधुंद बुखार जहरी नशे का
आज की इस घड़ी मे जैसे कोई नही रहा किसी का
युग गज़ब आ गया, हर आदमी बेगाना सा लगता है

रिश्तो नातो का मोल गया, उलझनो से बढ़ा चाव है
सलिका खो गया बातो का, प्यार पिछे कही छूटा है
पैसा हुआ यार सबका, दिल से ना लगाव रहा कोई
हमदर्दी झुठी हो गई, मतलब में मस्तमगन हर कोई
कैसे हो गुजारा यहाँ हर इंसान परेशान सा लगता है

दौड़ भाग की जिंदगी में, भागदौड़ हर चीज के लिए
फुरसत घड़ी भर की नही, चैन नही पल भर के लिए
उफ्फ तक निकलती है तो वक्त का एहसास होता है
मिनटो मिनटो का जैसे के अलिखीत हिसाब होता है
सुकून से गुजरे कभी, वह पल तलाशता सा लगता है शहर हमारा 
रंग बदलता 
लम्हा लम्हा 

अपने #शहर के बदलते हुए रंगों को अपने शब्दों में ढालें। #collab करें #yqdidi के साथ।
.....
* वर्तनी पर भी ध्यान दें। जो लिखें सफ़ाई से लिखें। 
* की और कि में अंतर होता है।
शहर हमारा कुछ दिन से बदला बदला सा लगता है
खामोशी के सफ़र से बहुत ही गुजरता सा लगता है

गलीयाँ सूनसान पड़ी है, मातम का कहर जहाँ तहाँ
बेटी कहाँ महफ़ूज है, हैवानियत का शोर यहाँ वहाँ
अक्ल पर सवार जैसे अंधाधुंद बुखार जहरी नशे का
आज की इस घड़ी मे जैसे कोई नही रहा किसी का
युग गज़ब आ गया, हर आदमी बेगाना सा लगता है

रिश्तो नातो का मोल गया, उलझनो से बढ़ा चाव है
सलिका खो गया बातो का, प्यार पिछे कही छूटा है
पैसा हुआ यार सबका, दिल से ना लगाव रहा कोई
हमदर्दी झुठी हो गई, मतलब में मस्तमगन हर कोई
कैसे हो गुजारा यहाँ हर इंसान परेशान सा लगता है

दौड़ भाग की जिंदगी में, भागदौड़ हर चीज के लिए
फुरसत घड़ी भर की नही, चैन नही पल भर के लिए
उफ्फ तक निकलती है तो वक्त का एहसास होता है
मिनटो मिनटो का जैसे के अलिखीत हिसाब होता है
सुकून से गुजरे कभी, वह पल तलाशता सा लगता है शहर हमारा 
रंग बदलता 
लम्हा लम्हा 

अपने #शहर के बदलते हुए रंगों को अपने शब्दों में ढालें। #collab करें #yqdidi के साथ।
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* वर्तनी पर भी ध्यान दें। जो लिखें सफ़ाई से लिखें। 
* की और कि में अंतर होता है।