" सुनिएगा" बावरे से मन की देखो.. बावरी है बातें बावरा सा मन मेरा क्यों तेरे पीछे भागे... पैर में पाजेब नहीं फिर यह आवाज कैसी .. बावरे से मन में जागी फिर, यह बावरी सी आश कैसी... बावरी सी अखियां मेरी देखने को तुमको ,तड़प तड़पने लगी.. मानो जैसे बरसात में बिजली.. कड़क कड़कने लगी बावरे से अधरों की है बावरी सी बातें बावरे से अधर मेरे कुछ तुमसे कहना चाहे बावरी सी अंखियों के हैं बावरे से सपने क्यों इस बावरे से मन को ही तुम ही लगे अपने क्यों ... #$nehsu #suniyega