रात की राख बिखर गई दिल में उड़ती चिंगारियां फैल गई चहुंओर धधक भी समा चुका खुद के आगोश में बस फिर से आग लगाना बाकी है। निकलती चिंगारियां धमनियों को जला रही थी सिराएं उड़ती राख संग गीत गुनगुना रही थी अचानक हवा का झोंका फैला गया रक्त में हुई राख फैल गई दिल में। बारिश की बूंदे चिंगारी बुझाना शुरू की रक्त संग पूरे शरीर में दौड़ा गई हुआ राख राख कालिख अब पुत गई न चाहते हुए आग फिर से लगा गई दिल में। #रातकाअफ़साना #collab #रात #राख #दिल #धधक #चिंगारी #आग Collaborating with 𝘠ourQuote Didi