कोई अल्फाज नहीं समझता कोई एहसास नहीं समझता। कोई जज्बात नहीं समझता कोई हालात नहीं समझता। कोई तन्हाई नही समझता कोई ज़ख्म नही समझता। कोई दर्द नही समझता कोई मुस्कुराहट के पीछे का गम नही समझता। ये अपनी अपनी समझ की बात है, कोई कोरा कागज भी समझ लेता है। तो कोई पूरी किताब भी नहीं समझता.. #_मुसाफिर _ ©kavi Pankaj Kumar #Moon