Nojoto: Largest Storytelling Platform

शब्द धराशायी मन अनहद डूब रहा... विधि तुझको असमय ही

शब्द धराशायी मन अनहद डूब रहा...
विधि तुझको असमय ही जाने क्या सूझ रहा!
किंचित अभाग के लेखे ही जलबूँदे प्रलय हुई
लेखनी तोड़ अनुदिन से तू ख़ुद ही टूट रहा।
असहाय मूक खड़ा है कैसे मैं प्रश्न करूँ?
निरुपाय हो रहा मन कैसे मैं धीर धरूँ?
कैसे समझाऊँ क्या बोलूँ क्याकर ये पीर हरूँ?
क्यों कोमल मन के हिस्से आता दुर्दिन असमय ही?
कैसा ये न्याय समय का?है कठिन प्राण निश्चय ही!
विधना तेरी विधि चलती है लगता है बिना नियम ही।
विफल हुई जाती है प्रार्थित अर्चनाएँ विकल ही।
फुफकार रहें प्रश्नों का मिलता नहीं कोई हल भी,
है आज आग की ढेरी! राख! माना ये सत्य अटल ही।
नन्हें हाथों में किन्तु तूने क्योंकर मशाल ये दे दी?
मन सहज सिहर जाता है।कल्पना कठिन है तेरी!



     #🙏🙏#helplessness#misfortune#sincerecondolence#yqpathos#yqlossirrevocable#🙏🙏
शब्द धराशायी मन अनहद डूब रहा...
विधि तुझको असमय ही जाने क्या सूझ रहा!
किंचित अभाग के लेखे ही जलबूँदे प्रलय हुई
लेखनी तोड़ अनुदिन से तू ख़ुद ही टूट रहा।
असहाय मूक खड़ा है कैसे मैं प्रश्न करूँ?
निरुपाय हो रहा मन कैसे मैं धीर धरूँ?
कैसे समझाऊँ क्या बोलूँ क्याकर ये पीर हरूँ?
क्यों कोमल मन के हिस्से आता दुर्दिन असमय ही?
कैसा ये न्याय समय का?है कठिन प्राण निश्चय ही!
विधना तेरी विधि चलती है लगता है बिना नियम ही।
विफल हुई जाती है प्रार्थित अर्चनाएँ विकल ही।
फुफकार रहें प्रश्नों का मिलता नहीं कोई हल भी,
है आज आग की ढेरी! राख! माना ये सत्य अटल ही।
नन्हें हाथों में किन्तु तूने क्योंकर मशाल ये दे दी?
मन सहज सिहर जाता है।कल्पना कठिन है तेरी!



     #🙏🙏#helplessness#misfortune#sincerecondolence#yqpathos#yqlossirrevocable#🙏🙏