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तेरा यूँ छोड़ के....जो जाना हुआ, तो मेरी शायरबाजी

तेरा यूँ छोड़ के....जो जाना हुआ,
तो मेरी शायरबाजी भी अब अधूरी लगती है,
कम्बख्त ख्वाहिश थी,
तेरे किरदार से रूबरू होने की
जो अब कहीं कैद हो चुकी,
शायद तुझे बड़ी जल्दी छीनने में,
खुदा की कोई मजबूरी लगती है....!!
                            -Sp"रूपचन्द्र" Rip....
इन्दौरी साहब....
तेरा यूँ छोड़ के....जो जाना हुआ,
तो मेरी शायरबाजी भी अब अधूरी लगती है,
कम्बख्त ख्वाहिश थी,
तेरे किरदार से रूबरू होने की
जो अब कहीं कैद हो चुकी,
शायद तुझे बड़ी जल्दी छीनने में,
खुदा की कोई मजबूरी लगती है....!!
                            -Sp"रूपचन्द्र" Rip....
इन्दौरी साहब....