// रोज़ रोज़ // रोज़ रोज़ ..... पिघल कर हिमपर्वतों की तरह रोज़ रोज़ ..... सुलग कर सिगरटों की तरह रोज़ रोज़ ..... टूट कर चट्टानों की तरह रोज़ रोज़ ..... सूख कर पुराने पोखर की तरह रोज़ रोज़ ..... गिर कर पतझड़ के पत्तों की तरह रोज़ रोज़ ..... नये नये जतन करते रहते हैं रोज़ रोज़ ..... तुम्हे खुद से निकालते हैं रोज़ रोज़ ..... तुम फिर जाने कहां से आ जाते हो नए रक्त प्रवाह से जैसे नयी ताज़ी शाखाओं से पहले से भी अमिट और प्यारे बनकर..... #modishtro #deepakkanoujia #smoking_kills #smokeforforget #rozroz #soulovers