कितना अच्छा होता नए साल में हर चीज नया होता। गर तेरी मुहब्बत का जरा भी ना परवाह होता। वो बाजार ही कहाँ जो मिल जाए कोई तेरे जैसा। मुमकिन तो नहीं गर होता तो खरीदार मैं होता। ✍Munna Aziz किमत।