बन गई थी जान पे, मर गया मुस्कान पे, बोल कुछ पाया नहीं, दब गया एहसान पे, आ गया तेरी गली, तरस खा मेहमान पे, जुर्म कर भागा छली, कर इशारे नादान पे, आस्था-विश्वास बिन, करे शक भगवान पे, बेईमानों ने उठाई, ऊँगलियाँ ईमान पे, रात पर भारी पड़ा, दीप एक दालान पे, क्रोध में सुल्तान गुंजन, अडिग था फ़रमान पे, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #मर गया मुस्कान पे#