काग़ज़ की कश्तियों में गुज़र जाएगा बचपन, इस सोच ने हमको बड़ा होने नहीं दिया। किस सोच में खोए हुए हम सोच रहे थे? हमको हमारी आग ने रोने नही दिया। जलते है जिस्म, मौत से पहले भी आज भी, बस एक ग़म ने रात को सोने नहीं दिया। चारों तरफ थी भीड़,अन्धेरों का शहर था, एक शक्स नें मुझको कहीं खोने नहीं दिया। ©Rudraksha Katyayan #rudrakshakatyayan #Poetry #nojeto #poeyrudraksha #हिन्दीकविता #हिन्दी #Travelstories