मैं भारतीय नारी हूँ युद्ध का बिगुल बजाती हूँ राणा हुकुम के शान से अस्त्र शस्त्र सजाती हूँ। राजपूती आन बान शान का लोहा मनवाती हूँ कोमलांगी न समझो मुझे मैं जौहर दिखाती हूँ। मर्यादा पर जो आँच आए अग्नि में समा सकती हूँ वीरांगना हूँ झुक नहीं सकती गला कटवा सकती हूँ मैं भारतीय नारी हूँ युद्ध का बिगुल बजाती हूँ राणा हुकुम के शान से अस्त्र शस्त्र सजाती हूँ। राजपूती आन बान शान का लोहा मनवाती हूँ कोमलांगी न समझो मुझे मैं जौहर दिखाती हूँ। मर्यादा पर जो आँच आए अग्नि में समा सकती हूँ वीरांगना हूँ झुक नहीं सकती गला कटवा सकती हूँ