एक हवेली, जिसमें पूरा परिवार था वो अब फ्लैट हो गई, हवेली टूटी और ज़िन्दगी एक दायरे में सेट हो गई वो परिवार जो साथ था,अब कही दूर बसता है बीते वक़्त के झरोखे से कहीं, वो घर मुझे ढूंढता है... बेशक पुरानी हो चली थी, उसे टूट जाना था अपने जो पास थे, उन्हें दूर जाना था वक़्त ने कुछ ऐसा खेल खेला, कहने को साथ है सब, पर दिखता है जैसे हर कोई अकेला यादों का एहसास,फ्लैट में छुपी उस हवेली को देखता है बीते वक़्त के झरोखे से,वो घर मुझे ढूंढता है... आँगन में हवेली के,बचपन की भरमार थी दादा दादी का प्यार था,पापा की फटकार थी सारे रिश्ते एक छत के नीचे थे हालात चाहे भी हो पर प्यार से हमने सींचे थे वो आँगन की तुलसी, वो गली ,वो गाँव कुछ पूछता है बीते वक़्त के झरोखे से,वो घर मुझे ढूंढता है।। ©Mishra Abhishek #Zindagi #Flat #Life