कुछ कबूतर बाज़ खुद को मानते हैं। और अपनी ही हमेशा तानते हैं।। ज्ञान का सागर उन्हीं के पास केवल, शेष मूरख वे सभी को जानते हैं।। ©वैरागी शाहजहाँपुरी #अनुमान Raghav Yadav Aaisha rana rohit singh Shabdoka Ka Sagar 【 शब्दोंका सागर 】 स्वाति झा