सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 56) में आपका स्वागत है! उधर से सिहरी हुई आवाज आती है !मैं सीखा हूं, आपके लिए खाना लेकर आई थी, कब से दरवाजा खटखटा रही थी लेकिन आप खोले नहीं, तो मैं यहीं बैठ गई!अभी तक पिताजी भी नहीं आए हैं, और वह आज आएंगे भी नहीं जब जब मौसम खराब होता है !तब तब वह नहीं आते हैं!काफी देर तक आपका इंतजार किया लेकिन आप भी नहीं आए!इसीलिए मैं हीं चली आई! नंदू के मुंह से कुछ भी आवाज नहीं निकल रहा था!वह हक्का-बक्का सा मुंह खोलकर शिखा की सारी बातें सुन रहा था! सीखा खड़ी होती है!और नंदू से बोलती है, अंदर नहीं बुलाइएगा नंदू हकलाते हुए, हां हां क्यों नहीं चलीए अंदर चलिए!इतनी तेज तूफान में आना जरूरी था!नंदू अपने दोनों हाथों से अपने ही गालों में मारते हुए!यह सब मेरी वजह से हुआ है!शिखा नंदू के हाथ पकड़ते हुए,यह क्या कर रहे हैं आप,अच्छा किए कि आप नहीं गये!नहीं तो आपकी तबीयत और खराब हो जाती! ©writer Ramu kumar #sad_quotes #writerRamukumar हिंदी फिल्म