मैं जब भी मुड़ कर देखता हूं, उजाला हमारी बस्ती में ही दिखाई देता है!क्यों? क्या सामने वाली बस्ती के लोग मर गए हैं, पर जब इस बात की जांच पड़ताल सलीके से की! तो पता चला कि वो लोग चरागों से नहीं चांद तारों से मोहब्बत करते हैं! " सुधांशु निराला" nirala Je ka anmol vichar.