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हर कोई मोक्ष को ढूँढे अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढ

हर कोई मोक्ष को ढूँढे

अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे,
जिसको ना मिले वही ढूंढे....

ज़र्रे ज़र्रे में है उसकी का वास,
फ़िर क्यूँ हम उसे यहाँ वहाँ ढूंढे....

हर घटना में कोई ना कोई भलाई है छुपी हुई,
हम हर अच्छाई में भी बुराई ही ढूंढें....

दूसरों की भलाई का हम कभी नहीं सोचते कभी,
अपने ही स्वार्थ को ही हम जगह ढूंढें....

अपने कर्मों को नहीं सुधारते हम जीवित रहते,
मरने के बाद हर कोई मोक्ष को ढूँढे....

©Poonam Suyal #MOKSHA
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