मैं एक नारी हु.. जिस पर मुझे अभिमान है.., और सृष्टि में किसी जीवन को जन्म देना, ये मेरे केवल ऊपर वाले का आशीर्वाद है.., तन से भले मैं कोमल होगी.., पर मन की विशालता किसी सागर से , मेरी कम ना होगी.., मेरे रूप अनेक है., इसीलिए मैं एक नारी हु...... Open for collab Dear all friends please complete this poem.. Title.. नारी नारी एक रूप अनेक..!