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मैं एक नारी हु.. जिस पर मुझे अभिमान है.., और सृष्ट

मैं एक नारी हु..
जिस पर मुझे अभिमान है..,
और सृष्टि में  किसी जीवन को जन्म देना,
ये मेरे  केवल ऊपर वाले का  आशीर्वाद है..,
तन से भले मैं कोमल होगी..,
पर मन की विशालता  किसी  सागर से ,
मेरी कम ना होगी..,
मेरे रूप अनेक है.,
 इसीलिए मैं एक नारी हु......

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Dear all friends please complete this poem.. 

Title.. नारी

नारी एक रूप अनेक..!
मैं एक नारी हु..
जिस पर मुझे अभिमान है..,
और सृष्टि में  किसी जीवन को जन्म देना,
ये मेरे  केवल ऊपर वाले का  आशीर्वाद है..,
तन से भले मैं कोमल होगी..,
पर मन की विशालता  किसी  सागर से ,
मेरी कम ना होगी..,
मेरे रूप अनेक है.,
 इसीलिए मैं एक नारी हु......

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नारी एक रूप अनेक..!
afrinjahan5980

Afrin Jahan

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