#Chandrayaan2 आज छत पे गया तो नज़र चाँद पर पड़ी और फिर चाँद को देखने लगा। देखते हुए कई कल्पनायें मन में आने लगी। और फिर से चाँद को गौर से देखने लगा। चाँद को देखते देखते सोचने लगा, ये वही चाँद है, जिसे बचपन में हम चंदा मामा कह कर बुलाते थे, ये वही चाँद है जिससे, चंदा मामा दूर के, चंदा मामा आवयलयँ दूध भात लावयलयँ, आदि कई लोरियों को सुनकर हम सो जाया करते थे। तब हमारे लिये चाँद कल्पनाओं से भी परे था। और आज हम उन्हीं कल्पनाओं को सच में देख पा रहे हैं। मन में कई उत्कंठायें उठी, कि आखिर वो चाँद जो हमसे इतनी दूरी पर है, आखिर वहाँ कौन रहता होगा। चारो तरफ खालीपन होगा, ना पेड़-पौधे, ना ही कोई मनुष्य, और ना ही कोई घर आदि। मगर आज एक बार फिर से हमारा देश उस चाँद पर पहुँचेगा। और ये ना कोई कल्पना होगी और ना ही कोई सपना। ये सोचकर फिर से एक कल्पना लग रही है, मगर यही सच है, कि आज हम फिर से चाँद पर होंगे। आज जब हमारे देश में एकदम सन्नाटा होगा तो उसी सन्नाटे में हमारा देश चाँद पर एक नया किर्तिमान स्थापित करेगा। रात में इंतजार रहेगा हमारे देश को चाँद पर उतरने का। जिससे पहली बार कल्पनाओं से हट कर सच मे चाँद को काफी करीब देखने का मौका मिलेगा। आप भी देखिए रात 1 बजे से । #Chandrayaan2