भागते रहते हो बेसबब उम्र की राहों पे कभी पल भर को ठहरा भी करो गिर जाएंगे कल एक एक कर के ये शजर छांव में इनकी कभी आके बैठा भी करो बड़े हो जाएंगे बच्चे आहिस्ता से अचानक एक रोज़ ज़रा उनके साथ बचपन जीया भी करो उतर जाएंगे एक एक करके अपने अपने स्टेशन पे दोस्तों से कभी कभार पहले की तरह मिला भी करो सुलगते सुलगते यूँही झड़ जाएगी सिगरेट की तरह ज़िन्दगी को कभी अपनी ख़ातिर जिया भी करो भागते रहते हो बेसबब उम्र की राहों पे कभी पल भर को ठहरा भी करो 22/7/22