विषय :- हौसलो की जीत लेखक :- कृष्णा शर्मा जीत हौसलो की होती है इतना कब तुम जानोगे रहा हौसला तुझमे ग़र तो खुद को तुम पहचानोगे क्या तुमने देखा है बोलो कभी हौंसला चींटी का मीलों से ढोकर लाती है ढेर बड़ा बो माटी का गागर में सागर के जैसी बातें तो सब करते हैं किन्तु हौसला ना होने पर मायूसी में जीते हैं कथनी और करनी में अम्बर की दूरी होती है बिना हौसलों के ना आशाएं पूरी होती हैं जीवन में जीत हौसलों से यह बात कभी तो मानोगे रहा हौसला तुझ में ग़र तो खुद को तुम पहचानोगे यह जीवन है कांटों सा पर पार निकलना है मुझको दूंगा मैं तोड़ हौसलों से हर मुश्किल सहना है मुझको दरिया कितना भी हो विशाल उससे ना तुम डर सकते हो बना हौसलों की कश्ती तुम पार निकल सकते हो सिर्फ हौसलों से ही तुम उस चांद को भी छू सकते हो जिसकी ना करी कल्पना हो वह सब तुम कर सकते हो गर करें हौसला इंसा तो रेगिस्तान में फूल खिला देगा रुख मोड़ सभी नदियों का वह सागर में उन्हें मिला देगा कृष्णा की इन बातों का जब मर्म कभी तुम जानोगे रहा हौसला तुझ में ग़र तो खुद को तुम पहचानोगे ****************** ©krishna sharma #कविता दिल से