बड़े ही दुःख से कहानी पढ़ रही है मेरी हार चाल उलठी पढ़ रही है, मुझे बस खेलना है साथ तेरे भले ही मात खानी पढ़ रही है, हमारी आँख बेवा हो चुकी है तेरी तस्वीर धुंदली पढ़ रही है, किसी को खा गाई है भूख उसकी किसी को जायके की पढ़ रही है, किसी का इश्क़ निचा हो गया है किसी की नाक ऊँची पढ़ रही है, किसी ने सच उठाया बाज़ुओं पे सज़ा मे खूब लाठी पढ़ रही है, किसी का झूठ बहार आ गया है किसी की शक्ल पिली पढ़ रही बस, हमारी मौत पर पैसा लगा है हमारी मौत महंगी पढ़ रही है, तुझे देखा हुआ है गैर के संग तभी उम्मीद पानी पढ़ रही है, हमें ही देखती है वो निगाहेँ हमी पे धूप सीधी पढ़ रही है, तुम्हरे होंट का चस्का लगा है हमारी चाई फीकी पढ़ रही है, हमारा गम नही दिखता किसी को सभी की आँख धुंदली पढ़ रही है, मुलाक़ात अधूरी रह गयी थी कहानी भी अधूरी पढ़ रही है... ©shaik azam बड़े ही दुःख से कहानी पढ़ रही है मेरी हार चाल उलठी पढ़ रही है, मुझे बस खेलना है साथ तेरे भले ही मात खानी पढ़ रही है, हमारी आँख बेवा हो चुकी है तेरी तस्वीर धुंदली पढ़ रही है,