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आज रमिया उसी मोड़ पर खड़ी थी जहाँ से कई साल पहले

आज रमिया  उसी मोड़ पर खड़ी थी  जहाँ  से कई साल पहले  उसकी माँ खड़ी थी। माँ का नया पति यानि उसके सौतेला बाप  ने  जब उसे कुत्सित नज़रों से देखा तो माँ अपने होश में नहीं थी और उसे लेकर   कहीं दूर चली गई लेकिन नियति के क्रूर चक्र के आगे उसकी एक न चली,  उसके हाथ पीले करने के बाद माँ इस दुनियाँ से चल बसी और  वह अपने पति के साथ सुकून  की ज़िंदगी बसर कर रही थी।  उसका पति कोरोना काल में काल कलवित हो गया उस दौरान सोमेश ने आर्थिक और भावनात्मक रूप से उसकी बहुत मदद की थी अब उसके बदले में  रमिया से शादी करना चाहता था लेकिन रमिया को उस पचास साल के सोमेश की नज़रों में  वह खुद को कभी नहीं पाती थी बल्कि सोमेश की निगाहेँ तो उसकी सोलह वर्षीया बेटी राजी पर टिकी दिखती थीं। वह उससे शादी की आड़ में उसकी बेटी के साथ ---=== नहीं.. नहीं वह ऐसा कभी नहीं होनें देगी।
वह भी राधिया को लेकर कहीं दूर चली जायेगी जहाँ सोमेश की कुत्सित निगाहेँ माँ - बेटी को ढूँढ न पाये।
चाँद मंथर गति से अपने गतंव्य की ओर जा रहा था और रमिया अपनी बेटी का हाथ थामे चली जा रही सोमेश की नज़रों से कहीं दूर... बहुत दूर।

©Sneh Lata Pandey 'sneh' #पुनरावृति