मुझे अपने टीचर से कहना है कि मैं जो भी हुँ,,वह आपके परिश्रम व ज्ञान का" गहना" है,,मेरी किमत आप से है,मेरी कीर्ति ,समृध्दि सबकुछ आपसे है,,,,हम आपकी हर आशाओ पर खर उतरेगे,,, शिक्षक अपने कर्तव्य को पुरा करते है अब हमे अपने आप को ऐसा बनाना है कि "स्वंय शिक्षको के पास भी उदाहरण हो कि"""" "यह मेरा शिष्य है""" जब गुरु स्वंय आगे बढकर कहे"""कि यह मेरा शिष्य है तब हमारी सार्थकता है ,,,, यदि हमारे जाने के बाद गुरु हमे भुल जाये तो """हमारा शिष्य होना भी बेकार है