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मुझमें ढ़ल रही है वो सर्द रातों के जैसी बिना धुएं क

मुझमें ढ़ल रही है वो सर्द रातों के जैसी
बिना धुएं के आग जलती कहां है
दो सीधी लकीरों जैसी किस्मत है अपनी
जो साथ दिखती तो हैं पर मिलती कहां है #yqquotes #yqhindi #लकीरें #सर्दी #शायरी #आग #धुआँ
मुझमें ढ़ल रही है वो सर्द रातों के जैसी
बिना धुएं के आग जलती कहां है
दो सीधी लकीरों जैसी किस्मत है अपनी
जो साथ दिखती तो हैं पर मिलती कहां है #yqquotes #yqhindi #लकीरें #सर्दी #शायरी #आग #धुआँ