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White *꧁|| श्री राम जी का आचरण ||꧂* *श्रीराम और रा

White *꧁|| श्री राम जी का आचरण ||꧂*
*श्रीराम और रावण त्रेता युग के दो ऐसे व्यक्तित्व थे, जो भिन्न-भिन्न दो प्रकार की प्रवृत्तियों के प्रतिनिधि थे। रावण के पास अथाह संपत्ति थी, वह सोने की लंका में रहता था। विश्व की अनेकों सुंदरियां उसके निवास को सुशोभित करती थीं। कुंभकर्ण और मेघनाद जैसे अजेय योद्धा उसके लिए प्राण देने को तत्पर रहते थे। वह स्वयं भी वेदों का बहुत बड़ा ज्ञाता था। मृत्यु उसके इशारे पर काम करती थी। वह भगवान शिव का इतना बड़ा भक्त था कि उनको प्रसन्न करने के लिए अपने हाथ से ही वह अपने सिर काट कर उनको अर्पित कर देता था। इतने पर भी उसे न तो तृप्ति थी और न ही उसके चित्त में शांति। इसीलिए प्रायः निर्बल राजाओं का वह न केवल धन लूटता था, अपितु उनकी सुंदर स्त्रियों का हरण करके उन्हें अपने विलास गृह में डाल लेता था। वह कुबेर से उनका पुष्पक विमान बलात छीन लाया था। जगतजननी महारानी सीता  का हरण करके तो उसने सभी प्रकार की नैतिक मर्यादा तोड़ दी थी।इसके विपरीत भगवान श्री राम ने अपनी ज्येष्ठता के अधिकार को त्याग कर अपनी माता और पिता की इच्छा का सम्मान कर चौदह वर्षों के लिए वन में रहना स्वीकार किया था। नीति के विपरीत चलने वाले बालि और रावण का वध करने के बाद भी उनके राज्य का लोभ न कर श्रीराम ने उनके भाइयों को ही उनका राज्य लौटा दिया था। उनके वन जाने पर भरत राज्य करेंगे, यह जान कर श्रीराम ने कहा था कि भरत यदि राज्य करते हैं तो यह मेरा परम सौभाग्य होगा। रावण के आचरण के विपरीत उन्होंने कभी भी विजित राजाओं की स्त्रियों की ओर नहीं देखा। उनकी तो यह उद्घोषणा थी कि सपने में भी उनका मन पर स्त्री की ओर नहीं जाता।उनके ऐसे ही आचरणों को देख कर जहां उन्हें पर ब्रह्म परमात्मा कहा जाता है, वहीं वह मर्यादा पुरुषोत्तम भी हैं, जिनके आचरण का अनुकरण कर कोई भी धन्यभागी हो सकता है ।*

*सुप्रभात आदरणीय बंधुओं, आज का दिवस आप सभी के लिए शुभ एवं मंगलमय हो ।*
*🚩🙏🌹जय श्री राम🌹🙏🚩*

©अक़श
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