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-भारी विपदा आन पड़ी थी कोविड से एक जंग छिड़ी थी -खूब

-भारी विपदा आन पड़ी थी
कोविड से एक जंग छिड़ी थी
-खूब ज़ोर लगाया उसने पर हर मोड़ पर एक ढाल खड़ी थी 
-तुमने रोका , तुमने टोका हर मोड़ पर फिर भी वो तलवार बनी 
-तुमने मुझे कमज़ोर कहा था, देखो मैने भी ये जंग लड़ी 
घर ही नहीं संसार हमारा , मेरे देश के लिये भी मैं हूं खड़ी 
-माँ भी हूँ, बहन भी हूँ मगर देश कि पहचान भी हूँ 
-डॉक्टर बनकर डटी रही risk में भी परिवार बच्चो को छोड़ जान बचाने के लिये घंटो लडती रही ,
-पुलिस बनकर जागरूक किया लोगो को अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास कराया , 
-सब अर्थवयवस्था बन्द होगयी मगर बच्चों कि पढ़ाई का ज़िम्मा भी सही उठाया ,
- हर काम करने कि तैयारि है covid को हराने कि बारी है 
-तुम एक काम ना सम्भाल पाओ मैं कामकाजी गृहणी हूँ, हाँ मैं नारी हूँ मैं covid पर भी भारी हूँ 
-ना ही नारी सा शौर्य किसी में 
ना ही नारी सी सहनशीलता किसी में 
ना ही समर्पण, ना कोमलता किसी में 
जो ठान लिया वो ठान लिया
उसको करके दिखाने वाली हूँ 
-सारी बेडिया तोड़ दी मैने 
अब मे ऊची उड़ान भरने वाली हूँ 
अब मैं ना डरने वली हूँ,
-जो मैंने चोट में उठना सिख लिया
अब तुम मुझे ना गिरा पाओगे 
अब मैं आने वली क्रांतिकारी हूँ 
-हर विघ्नों में सबकी जान बचाने के लिये मैं दुर्गा हो जाने वाली हूँ 
मैं सहिष्णु हूँ मगर वक्त आने पर हर काल का विनाश करने वाली हूँ 
-हाँ मैं नारी हूँ मैं covid पर भी भारी हूँ

©Shruti Sove #storiesbyshruti #wordstoliveby #Women #kavita #story #act 

#Woman
-भारी विपदा आन पड़ी थी
कोविड से एक जंग छिड़ी थी
-खूब ज़ोर लगाया उसने पर हर मोड़ पर एक ढाल खड़ी थी 
-तुमने रोका , तुमने टोका हर मोड़ पर फिर भी वो तलवार बनी 
-तुमने मुझे कमज़ोर कहा था, देखो मैने भी ये जंग लड़ी 
घर ही नहीं संसार हमारा , मेरे देश के लिये भी मैं हूं खड़ी 
-माँ भी हूँ, बहन भी हूँ मगर देश कि पहचान भी हूँ 
-डॉक्टर बनकर डटी रही risk में भी परिवार बच्चो को छोड़ जान बचाने के लिये घंटो लडती रही ,
-पुलिस बनकर जागरूक किया लोगो को अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास कराया , 
-सब अर्थवयवस्था बन्द होगयी मगर बच्चों कि पढ़ाई का ज़िम्मा भी सही उठाया ,
- हर काम करने कि तैयारि है covid को हराने कि बारी है 
-तुम एक काम ना सम्भाल पाओ मैं कामकाजी गृहणी हूँ, हाँ मैं नारी हूँ मैं covid पर भी भारी हूँ 
-ना ही नारी सा शौर्य किसी में 
ना ही नारी सी सहनशीलता किसी में 
ना ही समर्पण, ना कोमलता किसी में 
जो ठान लिया वो ठान लिया
उसको करके दिखाने वाली हूँ 
-सारी बेडिया तोड़ दी मैने 
अब मे ऊची उड़ान भरने वाली हूँ 
अब मैं ना डरने वली हूँ,
-जो मैंने चोट में उठना सिख लिया
अब तुम मुझे ना गिरा पाओगे 
अब मैं आने वली क्रांतिकारी हूँ 
-हर विघ्नों में सबकी जान बचाने के लिये मैं दुर्गा हो जाने वाली हूँ 
मैं सहिष्णु हूँ मगर वक्त आने पर हर काल का विनाश करने वाली हूँ 
-हाँ मैं नारी हूँ मैं covid पर भी भारी हूँ

©Shruti Sove #storiesbyshruti #wordstoliveby #Women #kavita #story #act 

#Woman