था भरा सोना खाचा खाच लंक की दीवार मे एक बीह रती नहीं मिला रावण को मरती बार मे जाने ना देना धर्म लोभ मत करना धर्म धाम का धर्म ही जाता रहा तो धन रहा किस काम का गुलाब चन्द्र