है ये जिंदगानी क्या अधूरी सी कहानी है मासूम आँसुओ को दास्तां अपनी सुनानी है मैं इक कतरा हूं जो न मिल पाया जी—ते—जी समंदर से मेरी बेचैनियो को अब मुकम्मल नींद पानी है... है ये जिंदगानी क्या अधूरी सी कहानी है मै इस उम्मीद पर ज़िंदा रहा के वो इक दिन तो लौटेगा मेरा इन गम की रातो से नाता इक दिन तो टूटेगा... मगर यह है भरम मेरा, नीम सी नींद का अधूरा ख्वाब है मेरी आँखों में जीती है मेरी आँखों में मरती है अधूरी ही सही लेकिन जवानी है रवानी है... है ये जिंदगानी क्या अधूरी सी कहानी है.... to be continued...