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बेटी होना कोई पाप नहीं, यह वरदान है अभिशाप नहीं। ब

बेटी होना कोई पाप नहीं, यह वरदान है अभिशाप नहीं।
बेटी है गर्भ में या बेटा है, यह भी तो किसी के हाथ नहीं।

कन्या का भ्रूण बनने में पिता का भी अंश होता है भान नहीं।
नारी को अकेले दोषी ठहराते, यह भी तो कोई सही बात नहीं।

भ्रूण की जांच करते और भ्रूण को गर्भ में मारते कांपते हाथ नहीं।
नारी को ही विवश कर भ्रूण हत्या करवाते, समझते कोई पाप नहीं।

भ्रूण हत्या एक अभिशाप है, मिटाना अकेले के वश की बात नहीं।
यूं ही धरा पर अगर भ्रूणहत्या होती रही, बचेगी कहीं कोई नारी नहीं।

नारी है खुद ही जननी, वंश बढ़ाती है फिर क्यों बेटी के लिए लड़ती नहीं।
जब तक नारी खुद ना विरोध करेगी, विवशता वश भ्रूणहत्या होती रहेगी। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें  "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ..

🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  का  प्रतियोगिता:-०८ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐

🥈आप सभी ८ से १० पंक्तियों में अपनी रचना लिखें।  विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार  किया जाएगा।
बेटी होना कोई पाप नहीं, यह वरदान है अभिशाप नहीं।
बेटी है गर्भ में या बेटा है, यह भी तो किसी के हाथ नहीं।

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नारी को अकेले दोषी ठहराते, यह भी तो कोई सही बात नहीं।

भ्रूण की जांच करते और भ्रूण को गर्भ में मारते कांपते हाथ नहीं।
नारी को ही विवश कर भ्रूण हत्या करवाते, समझते कोई पाप नहीं।

भ्रूण हत्या एक अभिशाप है, मिटाना अकेले के वश की बात नहीं।
यूं ही धरा पर अगर भ्रूणहत्या होती रही, बचेगी कहीं कोई नारी नहीं।

नारी है खुद ही जननी, वंश बढ़ाती है फिर क्यों बेटी के लिए लड़ती नहीं।
जब तक नारी खुद ना विरोध करेगी, विवशता वश भ्रूणहत्या होती रहेगी। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

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