प्रतिशोध ऎसी अग्नि है जो प्रस्फुटित किसी एक हृदय में होती है उसकी लपटें कइयों के हृदय में उठती है और एक दूसरे से फैलते हुए सर्वस्व भस्म कर देती है!! #प्रतिशोध #10. 05.20