है मेरा.....सब कुछ बस तू नहीं छीन ले मेरे ख़ुदा मुझसे ज़मीं सारी पर दे दे जो फ़लक़ है मेरा, है बड़ी मुश्किलों में दरिया-ए-इश्क़, सबर न जाने कब तक है मेरा। कब कैसे गलत करार हुआ मोहब्बत में टूट के चाहना, तू समझना समझ ले ग़ुनहगार ये महज़ मज़ाक नहीं इशक़ है मेरा। न बिसात उस इश्क़ की जिसमें ना कर सकें उसकी वफ़ा पर यकीं, है तय अब मुझे ही ले डूबेगा, इतना ख़ुदग़र्ज़ ये शक़ है मेरा। दस्तक़ दे किराये के लिए, हर पहली तारीख़ दहलीज़ पे दर्द, वहम ही था के तेरी इन यादों पे तो कम से कम कुछ हक़ है मेरा। मत कर देर या तू पहले बाहें फैला के मुझे गले से लगा, फैसला या ले जकड़ के दोनों हाथों से घोंट दे जो हलक़ है मेरा। है मेरा....सब कुछ बस तू नहीं बह्र : 2222 2222 2222 212 212 212 212 2222 2222 212 212 #ग़ज़ल #love #brokenheart #ghazal