सुना था,की डूबते को तिनके का सहारा भी काफी होता है कुसूर कैसा भी हो,एक दफा तो माफी होता है। मगर मुझे तो,ना किसी का सहारा मिला बेगुनाह होते हुए भी सजा का हकदार बताया गया। इंसाफ नाम की चीज़ ना रही दुनिया में मैं मरते दम तक नफरतों का शिकार बनाया गया। ©Shayar Mukesh Kr Tiwari. #Death me and my fillings.