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बचपन से माँ के दुआओं की बारिश में भीग रहा हूँ मैं

बचपन से माँ के दुआओं की बारिश में भीग रहा हूँ मैं

तभी इस बेजान से संसार में आज तलक सकुशल ज़िंदा हूँ मैं सुप्रभात।
जैसे इस धरती को आकाश का जल चाहिए वैसे ही हमारे हृदय को करुणा और संवेदना का जल चाहिए। दुआ वो स्रोत है जिससे हृदय में प्रेम का समुद्र लहराने लगता है।
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Collaborating with YourQuote Didi
बचपन से माँ के दुआओं की बारिश में भीग रहा हूँ मैं

तभी इस बेजान से संसार में आज तलक सकुशल ज़िंदा हूँ मैं सुप्रभात।
जैसे इस धरती को आकाश का जल चाहिए वैसे ही हमारे हृदय को करुणा और संवेदना का जल चाहिए। दुआ वो स्रोत है जिससे हृदय में प्रेम का समुद्र लहराने लगता है।
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