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आज सोचते हैं कितनी है खुदा की मुफ़्लिसि दो जून की र

आज सोचते हैं कितनी है खुदा की मुफ़्लिसि
दो जून की रोटी मयस्सर नही मुअज़्ज़िन को 
मयस्सर = उपलब्ध /available
 मुअज़्ज़िन  = जो नमाज़ के लिए अज़ान लगा कर लोगों को बुलाता है मस्जिद में 
नमस्कार लेखकों! ❤️

आज #dnd_शामएनज़्म में आपको उपर्युक्त शब्द "मुफ़्लिसी" का प्रयोग करते हुए शायरी/गज़ल/नज़्म/शेर या आपकी पसंद की किसी भी विधा पर रचना पूरी करनी है। 

dndशिकस्त के अंतर्गत सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले लेखक हैं-
आज सोचते हैं कितनी है खुदा की मुफ़्लिसि
दो जून की रोटी मयस्सर नही मुअज़्ज़िन को 
मयस्सर = उपलब्ध /available
 मुअज़्ज़िन  = जो नमाज़ के लिए अज़ान लगा कर लोगों को बुलाता है मस्जिद में 
नमस्कार लेखकों! ❤️

आज #dnd_शामएनज़्म में आपको उपर्युक्त शब्द "मुफ़्लिसी" का प्रयोग करते हुए शायरी/गज़ल/नज़्म/शेर या आपकी पसंद की किसी भी विधा पर रचना पूरी करनी है। 

dndशिकस्त के अंतर्गत सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले लेखक हैं-
anujjain6116

Anuj Jain

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