वक़्त की किताब खोली पन्नों पर यादें बिखरी थी... जहां आज भी खुशियां गिरवी थी लम्हे फड़फड़ा रहे थे और हम हैं कि दर्द गिरवी रखकर खुशी उधार देते हैं #priya_sethi_batra #ruhaani_alfaaz