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मुसलसल बूँदें बरसती रहीं, यूँ जैसे आसमान के सिरे ख

मुसलसल बूँदें बरसती रहीं,
यूँ जैसे आसमान के सिरे खुल गए हों,
कभी दबी ख़्वाहिशें बरसतीं,
तो कभी बिसरी यादें,
कभी भूले वादे और टूटी क़समें,
तो कभी सीली नज़्में...

बारिशों में उम्मीदें बरसती हैं,
बारिशों में सबकुछ मुमकिन लगता है,
आओ मिल एक दफे और
इस रिश्ते में कलियाँ खिलाएँ 
थोड़ा सा रूमानी हो जाएँ...
मुसलसल बूँदें बरसती रहीं,
यूँ जैसे आसमान के सिरे खुल गए हों,
कभी दबी ख़्वाहिशें बरसतीं,
तो कभी बिसरी यादें,
कभी भूले वादे और टूटी क़समें,
तो कभी सीली नज़्में...

बारिशों में उम्मीदें बरसती हैं,
बारिशों में सबकुछ मुमकिन लगता है,
आओ मिल एक दफे और
इस रिश्ते में कलियाँ खिलाएँ 
थोड़ा सा रूमानी हो जाएँ...