प्रेम का पहाड़ा पहाड़ हो गया रोग कोई नहीं, पर बीमार हो गया औरों के जरूरी काम गैरजरूरी लगे अपने भी काम में बेकार हो गया पहले चाहतों की फेहरिस्त न थी अब तो उन्हीं का तलबगार हो गया सपनों में होती थी बेहिसाब कहानियां अब इन आंखों का भी पहरेदार हो गया झटके में जो कर लूं खुद को बयां इश्क किया और बेरोजगार हो गया ©संजीव #प्रेम #पहाड़ा #पहाड़ #गैरजरूरी #फेहरिस्त #तलबगार #पहरेदार