सुभाष चन्द्र बोस मैं कफ़न बढ़ाता हूँ, आए जो इसको हँसकर लेता हो!” सारी जनता हुंकार उठी- हम आते हैं, हम आते हैं! माता के चरणों में यह लो, हम अपना रक्त चढाते हैं! साहस से बढ़े युबक उस दिन, देखा, बढ़ते ही आते थे! चाकू-छुरी कटारियों से, वे अपना रक्त गिराते थे! फिर उस रक्त की स्याही में, वे अपनी कलम डुबाते थे! आज़ादी के परवाने पर हस्ताक्षर करते जाते थे! #NojotoQuote #shubhaschandrab #india #birthday #njotohindi #writer #avnishmsingh Neta g SCB....